कैसे छोड़ दूँ मेरे साथी दरो-दीवार हैं कैसे छोड़ दूँ मेरे साथी दरो-दीवार हैं
हर घर कुछ कहता है, ऐसा कहते हुए सुना है। हर घर कुछ कहता है, ऐसा कहते हुए सुना है।
घर को ख़ुशियों से भरो, अफ़वाह ना फैलाओ यार, घर को ख़ुशियों से भरो, अफ़वाह ना फैलाओ यार,
तुमने दे दी सज़ा पर मुक्त हो गई वह तुम्हारी बिसात से ! तुमने दे दी सज़ा पर मुक्त हो गई वह तुम्हारी बिसात से !
ममता के जादुई स्पर्श से किराए का दर्द बाँट लेती है। ममता के जादुई स्पर्श से किराए का दर्द बाँट लेती है।
फटाफट हाथों को देखा वो थे निर्मल-कोमल, पर सपने की बात आँखों से नहीं हो रही थी ओझल फटाफट हाथों को देखा वो थे निर्मल-कोमल, पर सपने की बात आँखों से नहीं हो रही थी...